Wednesday, January 29, 2025

''Unknown Call" ( एक रहस्यमयी कहानी )


सर्दी की ठंडी रात थी। घड़ी 12:30 बजा रही थी। घना कोहरा चारों तरफ फैला था, और शहर की गलियाँ वीरान पड़ी थीं। लेकिन रोहन की आँखों में नींद नहीं थी। वह अपने लैपटॉप पर काम कर रहा था, तभि अचानक उसका फोन बज उठा ।
रोहन ने फोन की स्क्रीन देखी – "Unknown call"। इतनी रात को कौन हो सकता है ? थोड़ी झिझक के बाद उसने कॉल रिसीव की ।
"हेलो?"
कुछ सेकंड तक सन्नाटा रहा, फिर एक कांपती हुई आवाज़ आई
"रो... रोहन! बचाओ... वे आ रहे हैं!"
रोहन का कलेजा धक से रह गया।
"कौन ? कौन आ रहे हैं ?" उसने घबराकर पूछा।
लेकिन उधर से सिर्फ़ हल्की सांसों की आवाज़ आई, और फिर कॉल कट गई।
रोहन ने नंबर दोबारा डायल करने की कोशिश की, लेकिन फोन पर "नंबर अमान्य है" लिखा आ रहा था।
कुछ देर बाद, उसके दरवाज़े पर धीमी दस्तक हुई।
"टॉक... टॉक..."
रोहन के हाथ-पाँव ठंडे पड़ गए। उसने धीरे से दरवाज़े की झिरी से देखा, लेकिन बाहर कोई नहीं था।
लेकिन दरवाज़े के सामने एक पुरानी, फटी हुई डायरी रखी थी। डरते हुए उसने डायरी उठाई। पहले पन्ने पर लाल स्याही से लिखा था
"अगर तुम इसे पढ़ रहे हो, तो वे तुम्हें भी देख रहे हैं!"
रोहन ने पन्ने पलटने शुरू किए।
"15 दिसंबर 2019 – आज मैंने उन्हें देखा। वे मेरे पीछे हैं। मैं बच नहीं सकता।"
"20 दिसंबर 2019 – मैंने रोहन को कॉल किया,
लेकिन शायद अब बहुत देर हो चुकी है..."
रोहन का दिल ज़ोर से धड़कने लगा।
"मेरा नाम इस डायरी में क्यों लिखा है ? यह डायरी यहाँ कैसे आई ?"
उसने जल्दी से गूगल पर 15 दिसंबर 2019 की खबरें खंगालनी शुरू कीं।
कुछ देर बाद उसे एक चौंकाने वाली ख़बर मिली
"शहर के एक फ़्लैट में युवक की रहस्यमयी मौत, शरीर नहीं मिला, लेकिन कमरे में अजीब संकेत छोड़े गए।"
और सबसे डरावनी बात...
मरने वाले लड़के का नाम था अभय मेहरा ।
"अभय ! यही तो मेरा कॉलेज का दोस्त था !"

अगले दिन पुलिस को सूचना दी गई, और इंस्पेक्टर कबीर इस मामले की जाँच करने पहुंचे।
टेबल पर रखी डायरी को उठाते ही उनके होश उड़ गए ।
"इंस्पेक्टर कबीर तुम्हारी बारी है !"
अब यह मामला रोहन के लापता होने से कहीं ज्यादा रहस्यमयी लग रहा था।
फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स ने डायरी के पहले पन्ने पर ब्लैक लाइट डाली, और उसमें एक छिपा हुआ मैसेज दिखा
"अगर इसे पढ़ रहे हो, तो देर मत करो । सच तुम्हारे सामने है। 13B, Blue Moon Apartment !"
इंस्पेक्टर कबीर ने तुरंत अपनी टीम के साथ ब्लू मून अपार्टमेंट का फ्लैट नंबर 13B खंगालने का फैसला किया।
रात के 1 बजे, इंस्पेक्टर कबीर अपनी टीम के साथ 13B के दरवाज़े के सामने खड़े थे।
दरवाज़ा पुराना और टूटा हुआ था। जब उन्होंने दरवाज़ा तोड़ा, तो अंदर की हालत देखकर उनकी रूह काँप गई।
कमरे की दीवारों पर खून के धब्बे थे। फर्श पर पुराने अख़बार बिखरे थे, जिनमें लापता लोगों की ख़बरें छपी थीं
"अभय मेहरा लापता, केस बंद !"
"रोहन शर्मा गायब, कोई सुराग नहीं !"
और फिर उन्होंने देखा
कमरे के बीचों-बीच एक पुराना टेलीफोन रखा था, जिसकी स्क्रीन पर लिखा था...
"INSPECTOR KABIR – INCOMING CALL"
कबीर के शरीर में सिहरन दौड़ गई ।
उन्होंने धीरे से फ़ोन उठाया और कान से लगाया ।
उधर से एक जानी-पहचानी आवाज़ आई
"इंस्पेक्टर कबीर... अब बहुत देर हो चुकी है !"
फोन झटके से कट गया !
और तभी कमरे के अंधेरे कोने में कुछ हिलता हुआ नजर आया...
"कौन है वहाँ ?" कबीर ने तेज़ आवाज़ लगाई ।
तभी उनकी टीम का एक जवान चीख़ते हुए बाहर भागा
"सर ! वहाँ... वहाँ कोई है !"
कबीर ने टॉर्च उठाई और धीरे-धीरे उस कोने की ओर बढ़ा ।
जब उन्होंने टॉर्च का उजाला वहाँ डाला, तो उनकी साँसें थम गईं !
वहाँ कोई और नहीं, बल्कि रोहन खड़ा था !
लेकिन उसका चेहरा सफेद पड़ा था, आँखें काली हो चुकी थीं... और उसके होठों पर हल्की मुस्कान थी ।
और फिर उसने धीरे से कहा
"अब तुम्हारी बारी है, कबीर !"

पड़ोसियों ने पुलिस को बुलाया। दरवाज़ा अंदर से बंद था। जब पुलिस ने दरवाज़ा तोड़ा, तो कमरे में कोई नहीं था।
इंस्पेक्टर कबीर भी गायब हो चुके थे !
टेबल पर सिर्फ़ एक चीज़ पड़ी थी
वही पुरानी डायरी... और आखिरी पन्ने पर लिखा था:
"अब अगला कौन ?"
क्या हुआ कबीर के साथ ?
क्या रोहन सच में मर चुका था, या वह कुछ और बन चुका था ?
क्या यह रहस्य किसी और तक पहुँचेगा 
?
अगर आपको यह कहानी पसंद आई, तो कमेंट में बताइए क्या आप इसका अगला भाग चाहते हैं ?

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